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हादसा

तुम्हारा ख़्वाब मेरे लिए एक हादसे जैसा है

लाख कोशिश करता हूं इसे मिटाने कि

मगर ज़हन से जाता ही नहीं है


ज़हन में कैद होकर रह गया है ये हादसा

मैं इस हादसे से आज़ाद होना चाहता हूं


मगर फिर एका एक ये सोचता हूं कि आखिर

क्या मायने हैं ऐसी आज़ादी के

जिसमें तुम हो ही नहीं


Poetically from anubhav_writes


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